हमारा समाज:
ये उन दिनों की बात है जब हम नही जानते थे कि फ़ोन क्या है ?मोबाइल क्या है ?विकास क्या होता है ?तरक्की क्या है ?अगर कुछ साइंटिफिक यंत्रो का प्रयोग किसीभी क्षेत्र मे होता भी था तो हर किसी के बस मैं या पहुँच मैं नही था ,पर जो हर किसी के पास था या पहुच मैं था बो बहुत अच्छा था जिसे हम कही पीछे छोड़ दिये --
" हल खींचते समय यदि कोई बैल गोबर या मूत्र करने की स्थिति में होता था तो किसान कुछ देर के लिए हल चलाना बन्द करके बैल के मल-मूत्र त्यागने तक खड़ा रहता था ताकि बैल आराम से यह नित्यकर्म कर सके, यह आम चलन था।
जीवों के प्रति यह गहरी संवेदना उन महान पुरखों में जन्मजात होती थी जिन्हें आजकल हम अशिक्षित कहते हैं, यह सब अभी 25-30 वर्ष पूर्व तक होता रहा ।
उस जमाने का देशी घी यदि आजकल के हिसाब से मूल्य लगाएं तो इतना शुद्ध होता था कि 2 हजार रुपये किलो तक बिक सकता है।
और उस देसी घी को किसान विशेष कार्य के दिनों में हर दो दिन बाद आधा-आधा किलो घी अपने बैलों को पिलाता था ।
क्या परम्पराये थी ..
टटीरी नामक पक्षी अपने अंडे खुले खेत की मिट्टी पर देती है और उनको सेती है।
हल चलाते समय यदि सामने कहीं कोई टटीरी चिल्लाती मिलती थी तो किसान इशारा समझ जाता था और उस अंडे वाली जगह को बिना हल जोते खाली छोड़ देता था । उस जमाने में आधुनिक शिक्षा नहीं थी ।
सब आस्तिक थे। दोपहर को किसान जब आराम करने का समय होता तो सबसे पहले बैलों को पानी पिलाकर चारा डालता और फिर खुद भोजन करता था । यह एक सामान्य नियम था ।
बैल जब बूढ़ा हो जाता था तो उसे कसाइयों को बेचना शर्मनाक सामाजिक अपराध की श्रेणी में आता था।
बूढा बैल कई सालों तक खाली बैठा चारा खाता रहता था, मरने तक उसकी सेवा होती थी।
उस जमाने के तथाकथित अशिक्षित किसान का मानवीय तर्क था कि इतने सालों तक इसकी माँ का दूध पिया और इसकी कमाई खाई है,अब बुढापे में इसे कैसे छोड़ दें,कैसे कसाइयों को दे दें काट खाने के लिए ??
जब बैल मर जाता तो किसान फफक-फफक कर रोता था और उन भरी दुपहरियों को याद करता था जब उसका यह वफादार मित्र हर कष्ट में उसके साथ होता था।
माता-पिता को रोता देख किसान के बच्चे भी अपने बुड्ढे बैल की मौत पर रोने लगते थे।
पूरा जीवन काल तक बैल अपने स्वामी किसान की मूक भाषा को समझता था कि वह क्या कहना चाह रहा है ।
वह पुराना भारत इतना शिक्षित और धनाढ्य था कि अपने जीवन व्यवहार में ही जीवन रस खोज लेता था,वह करोड़ों वर्ष पुरानी संस्कृति वाला वैभवशाली भारत था..!
वह सचमुच अतुल्य भारत था।।
ये बो जमाना था कि जब इंसान अपने जनबरो की इतनी
इज्जत करता था जितनी आज की जेनेरेशन अपने माता पिता की नही कर पा रही है , कारण कुछ भी हो आज हम इतने मॉडर्न हो गए है कि अपने पिछले 30 से 35 साल के इतिहास को ही भूल गए है ।।
खेती आज भी होती है ,और बड़ी तादात मैं होती अच्छी फसल भी उत्पादित हो रही है बड़ी मात्रा मे पर अब हमारी खेती करने के तरीकों ने काफी बदलाव कर लिए है हर उस परम्परागत ढाचे मैं बदलाओ आ गया है ।जो अब यांत्रिक हो गयी हमारी खेती भी अपने आप से पूछ रही होगी कि जाने कहाँ गए बो लोग बो संस्कृति बो समाज जिन्हें याद करते ही आंशू निकल आते है ।"
"जय ज़बान जय किसान"
Bahut khoob
जवाब देंहटाएं